वर्षों से हम डार्विन द्वारा दिए गए उसी सिद्धांत को मानते आए हैं ,जिसमें कहा जाता है कि पुरुष* महिला* को आकर्षित करने के लिए तरह - तरह की तरकीबें करते हैं। आपस में लड़ते हैं और एक से ज्यादा महिला के साथ संबंध बनाते हैं यानी व्यभिचार करते हैं। एक वाक्य में कहा जाए तो, पुरुष सेक्शुअली रूप से सक्रिय व बहुविवाही(polygamous) होते हैं। जबकि महिला के बारे में कहा जाता है कि वह सेक्शुअली रूप से निष्क्रिय और एकविवाही (monogamous) होती है। लूसी कूक ने अपनी किताब 'बीच'(BITCH) में इसे पूरी तरह से खारिज किया है और लिखा है, कि सिर्फ 7% प्रजाति ही मोनोगेमस होती है यानी बचे 93% प्रजाति में एक से अधिक जीवो के साथ सेक्शुअली संबंध बनाने की प्रवृत्ति पाई जाती है। वो लिखती हैं कि बारबरी मैकाक्स से लेकर नीले टीट्स तक, सब कई भागीदारों के साथ संबंध बनाना चाहते हैं।उदाहरण के लिए, एक मादा शेर, ओस्टर के दौरान दिन में 100 से ज्यादा नर शेर के साथ संबंध बना सकती है।मेडागास्कर की पूंछ वाले लेमर और कलाहारी की मरकट जो अपने प्रतिद्वंद्वियों की नारियों को मार देती हैं।यह स्त्री के सत्तावादी चरित्र को दिखाता है और ये बताता की समाज में स्त्री की भूमिका निष्क्रिय (passive) नहीं होती।
विक्टोरियन युग में महिलाओं को शादी, बच्चा पैदा करने और अपने पति की सहायता करने में बांध दिया गया और उनकी भूमिका बस एक सहायक के रूप में रह गई। जिसे डार्विन की थियरी ने वैज्ञानिक आधार दिया और ये धारणा मजबूत हुई कि स्त्री कमजोर होती है और लीड नही कर सकती।
इन सब में फीमेल चॉइस को बिल्कुल नजरअंदाज कर दिया गया और ये मान लिया गया कि उसकी कोई अपनी इच्छा नहीं होती। विशेषकर सेक्सुअल एक्टिविटी में।लूसी कोक ने अलग-अलग प्रजातियों में होने वाले सेक्स के माध्यम से यह बताया है कि फीमेल भी उतनी ही सेक्सुअली एक्टिव जितना की एक मेल। स्त्री को जेंडर के सांस्कृतिक खाँचे में बांध दिया गया जबकि जैविक रूप से दोनो मे इस स्तर पर कोई भेद न था।लेखिका का कहना है,जब तक की हम सांस्कृतिक पूर्वाग्रह से नहीं निकल जाते तब तक हम बायोलॉजिकल सच्चाई को नहीं समझ सकते।
बीच (BITCH), जेंडर और सेक्स के मिथ को सामने लाने के साथ साथ अलग-अलग प्रजातियों के सेक्स रोल के बारे में बड़े रोचक जानकारियां पेश करती है।
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