घर में पुरुष से ज्यादा पैसे कमाने के बावजूद भी घरेलू कार्य की ज़िम्मेदारी महिलाओं के ऊपर ही: स्टडी

बदलते समय के साथ हमारे समाज में कई तरह के बदलाव आए हैं। जिसमें परिवार और रिश्तों की प्रकृति में परिवर्तन देखने को मिले हैं। जहां ग्रामीण और कृषक समाज में संयुक्त परिवार का चलन था। वहीं शहरी और औद्योगिक समाज में एकल परिवार का प्रचलन बढ़ रहा है। जिसका असर पति-पत्नी के रिश्तों पर दिख रहा है। जब घरेलू कामकाज , बच्चों के लालन -पालन और माता - पिता की देखभाल को लेकर दंपतियों के बीच झगड़े होते हैं।इनके बीच बढ़ते विवादों से बच्चों की मानसिक स्थिति पर भी प्रभाव पड़ता है। घर के कामकाज का भार सदियों से घर की महिलाओं पर ही रहा है, लेकिन बदलते परिदृश्य के साथ महिला भी घर से बाहर निकल कर काम कर रही है। वो दिन बीत गए, जब यह माना जाता था कि पैसे कमाने का काम पुरुष का है और घर और बच्चों को संभालने की ज़िम्मेदारी महिलाओं की है।

अब पति - पत्नी दोनों पैसे कमा रहे हैं और आर्थिक रूप से स्वतंत्र हैं। इसके साथ साथ घर का स्वरूप भी संयुक्त से एकल हो गया है। संयुक्त परिवार में बहु को घर के काम और बच्चों की परवरिश में सहायता देने के लिए घर में अन्य महिलाएं भी होती थी। जिससे की कार्य भार बंट जाता। लेकिन एकल परिवार में परिवार में घरेलू काम तो पत्नी के जिम्मे है ही। जिसमें उसे सहायता देने वाला कोई नहीं है। इसके साथ साथ बाहर का काम भी बढ़ गया।

सेज जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के अनुसार , महिलाओं द्वारा पुरूषों से ज्यादा घर के काम किए जाते हैं भले ही वह शहर , गांव कहीं पर भी रहते हों। इसमें एक और तथ्य निकल कर सामने आए हैं जो बताता है कि कामों का लैंगिक करण हुआ है। खाना बनाने, बर्तन धोने ,कपड़े धोने साफ सफाई करने जैसे काम अभी भी महिला ही कर रही है। जबकि बाहर से सामान लाने ,गाड़ी की देखभाल या अन्य बाहर के काम पुरुषों के जिम्मे हैं।यानी काम का बंटवारा भी हुआ है तो वह भी जेंडर के आधार पर ना की योग्यता के आधार पर। साइंस डेली में प्रकाशित एक अन्य रिसर्च बताती है कि अगर महिला ,पुरुष से ज्यादा पैसे कमाए तो भी कोई फर्क नहीं पड़ता। ज्यादा कमाने के बावजूद भी उन्हें पुरुष से ज्यादा घरेलू कार्य करने पड़ते हैं। ज्यादातर मध्यम वर्ग, ख़ासकर शहरी मध्यम वर्गीय परिवार की यही कहानी है। जिस कारण से पारिवारिक और दांपत्य जीवन में अस्थिरता में वृद्धि हुई है।


'शेयर द लोड' इस नए जमाने में हर परिवार की यह जरूरत बन गई है। पति- पत्नी को घर के कामों में एक दूसरे की सहायता करने की ज़रूरत है। इसके बिना इनका जीवन सुखपूर्वक नहीं चल सकता। विशेषज्ञ बताते हैं कि यह कामों का विभाजन जेंडर आधारित नहीं होना चाहिए। कार्यों का यह विभाजन योग्यता और रुचि के आधार पर होना चाहिए। जिसमें समय समय पर बदलाव होना चाहिए। इसके अलावा आपको अपने पार्टनर से बातचीत और उसके परेशानियों का ख़्याल भी रखना चाहिए। घर का सबसे व्यस्ततम जगह किचन और लिविंग रूम होता है। अलग अलग अध्ययनों में ये बात सामने आई है कि कुछ लोगों के अंदर गंदगी और अव्यवस्था को सहने की क्षमता कम होती है। ऐसी स्थिति में आप घर को व्यवस्थित रख कर के , बेसिन को साफ रख कर एक दूसरे की मदद कर सकते हैं। ये छोटी छोटी बातें मायने रखती है। इन बदलते समय के साथ हम सब को विशेष कर पुरुषों को अपने सोच और जीवनशैली में परिवर्तन लाने की जरूरत है।

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